Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 33
________________ (३१) पड़ी संपूर्ण नोकार कहीने, तथा खमासणुं देश्ने हुप्रोपनवनिवारणाय करेमि काउस्सग्गं, अनत्थ, एक नोकारनो काउसग्ग, (बीजा श्राचार्यना मत प्रमाणे उवसग्गहरंनो काउसग्ग) तथ नमोऽर्हत्नो पाठ कहीने, सर्वपदांबांबिकाद्या, वैयावृत्यकरा जिने ॥ कुखोपभवसंघातं, ते सुतं जावयंतु मे ॥१॥ एवी रीतनी थोश कहेवी. पछी एक नोकार प्रकट कहीने, "उपसर्गाः क्षयं यांतिथी मामीने जैनं जयति शासनं” सुधिनो पाठ कहेवो. पछी एक नोकार, उपसग्गहरं, अने लोग. स्स पुरो सातवार कहीने हे बेसे, तथा बिंबप्रवे. शमहिमानो उपदेश दीये. - पछी बाकी रहेला अरधा बाकुळा खेईने, नीचे प्रमाणे देवोने विसर्जन करे. ॐनमो इंद्राय, पूर्वदिमधिष्ठाय, एरावणवाहनाय, सहस्रनेत्राय, वज्रायुधाय, सपरिजनाथ, अमुक न. गरे अमुक गृहे श्रीजिनबिंबप्रवेशमहोत्सवे सर्वोप Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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