Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 61
________________ ( ६० ) पूजननो विधि कहे बे. - उपर प्रमाणे पुष्पचादिकनी अंजलि नरीने, 'ॐ नमो बुधाय श्री श्री खः दः स्वादा' मंत्री रीतनो मंत्र जणीने बुधना मंगलने वधाववुं पढी सुखम केसर खने कस्तुरीवडे बुधना मंगलनुं चालेखन कर. पी पूर्वी पेठे 'ॐ नमो बुधाय' इत्यादिक मंत्री तेना आह्वाहन यादिकनी विधि करवी. पठी वासपूजामां तेनी चंदनथी, पुष्पपूजामां चंपांना पुष्पोनी, अथवा मरवानी, वस्त्रपूजामां लीली बटनां कापरुनी, नैवेद्य पुजामां मगजनां लाऊनी पूजा करवी. बाकी बीजुं सघळं यादित्यपूजा प्रमाणे करवुं पडी तेना मंत्र पूर्वक केरवानी हाथवा नीलमनी नोकरवाळी गणवी. पठी अर्ध्य दीधा बाद तेनी नीचे प्रमाणे स्तुति करवी. विमलानंतधर्मार - शांतिकुंथुन मिस्तथा ॥ महावीरश्च तन्नाम्ना, शुजो जव सदा बुध ॥ १ ॥ एवी रीतें बुधना पूजननो विधि जाणवो. हवे गुरुनां पूजननो विधि कहे. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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