Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 59
________________ (५०) एवी रीते आदित्यनी पूजानो विधि जाणवो. हवे चंजनो पूजाविधि कहे जे. अंजलिमा पुष्प, वास, चोखा तथा पाणी खेश्ने, 'ॐरोहिणीपतये चंडाय ॐही ही ही चंद्राय नमः' एवी रीतनो मंत्र जणीने चंद्रना मंगलने वधावq. पली एकला सुखमयी चंजनुं मंडल आलेखवू. पड़ी ॐ चंद्राय इत्यादि सूर्यनां मंत्र पूर्वक सघळा मंत्रो जणीने तेनुं आह्वाहन, स्थापन, चंदन, पुष्प, वस्त्र, फूल, दीप, धूप, नैवेद्य, अक्षत, तांबुल विगेरेथी पूजन करवू. तेमां पुष्पमां कुमुद अथवा चंबेलीनां पुष्पो चमावां. वस्त्रमा सफेद वस्त्र चमावq. फळमां शेरमी चमाववी. तथा नैवेद्यमां मरमरानो, अथवा घेसीया दळनो लामु चमाववो. तथा बीजी सघळी विधि आदित्यपूजनना सरखी करवी. स्फटिकना परवाळांनी चंद्रना मंत्रथी नोकरवाळी गणवी. वळी अर्घ्य देइने, नीचे प्रमाणे तेनी स्तुति करवी. चंद्रप्रनजिनेंस्य, नाम्ना तारागणाधिप ॥ प्रसन्नो जव शांतिं च, रदां कुरु जयश्रियं ॥१॥ एवी रीते चंपूजननो विधि जाणवो. हवे जौ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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