Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(७१) देईने, हाथ जोमीने, तेनी नीचे प्रमाणे प्रार्थना करवी. यमापरांतरालोऽसौ, नैतिः शिववाहनः॥ संघस्य शांतये सोस्तु, बलिपूजां प्रयचतु ॥१॥ एवी रीतें नैश्तपूजननो विधि जाणवो. हवे वरुणपूजननो विधि कहेजे.
पुष्पादिकनी अंजलि नरीने 'ॐ श्री ह्रौ वरुणसंवौषट् ' एवी रीतनो मंत्र जणीने, वरुणना मंमलने वधाव. पनी कस्तूरी अने चुबाने मिश्रित करीने, वरुण, मंमल आलेखQ. पड़ी ॐनमो वरुणाय, पश्चिम दिगधिष्टायकाय; मकरवाहनाय, पाशहस्ताय, सपरिजनाय, अमुकगृहे' इत्यादि मंत्र करीने पूर्वनी पेठेज तेना आह्वान आदिकनो विधि करवो. चंदनपूजामां चुाथी मिश्रित करेला सुखमनी, पुष्पपूजामां दमणानी, फलपूजामां दामिमनी, वस्त्रपूजामां आस्मानी वस्त्रनी, तथा नैवेद्यपूजामां तलवटनी पूजा करवी. बाकीनो सघलो विधि श्रादित्यपूजन प्रमाणे जाणवो. पड़ी पुष्पादिकनी अंज
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