Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 77
________________ ब्रह्मलोकविजुर्यस्तु राजहंससमाश्रितः॥ संघस्य शांतये सोऽस्तु, बलिपूजां प्रयच्छतु ॥१॥ एवी रीते ब्रह्मपूजननो विधि जाणवो. हवे पातालाधिपति जे नाग, तेना पूजननो विधि कहे . - पुष्पादिकनी अंजलि जरीने, 'ॐ आँ ही क्राँ एँ इंसः पद्मावतीसहिताय धरणेंद्रसंबोषट्' एवी रीतनो मंत्र जणीने नागराजनां मंगलने वधाव. पठी सुखम अने दूधनुं मिश्रण करीने, तेथी तेना मंगलने आलेख. पछी 'ॐ नमो नागाय, पातालनिवासनाय, पद्मवाहनाय, सायुधाय, सपरिजनाय, अमुकगृहे' इत्यादि मंत्रपूर्वक तेना थाहाहन था. दिकनी क्रिया करवी. चंदनपूजामा सुखमनी, पुष्पपूजामां मोगरानी, फळपूजामां सफेद बदामनी, वस्त्रपूजामां श्वेत वस्त्रनी, तथा नैवेद्यपूजामां दूधमानी पूजा करवी. बाकीनो सघळो पूजन विधि थादित्यपूजनपेठेज जाणवो. पनी पुष्पादिकनी अंजलि जरी; त्रणवार तेना मंत्रोच्चार पूर्वक अर्घ्य देइने, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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