Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 75
________________ ( ४) जाणवो. पड़ी पुष्पादिकनी अंजलिपूर्वक त्रणवार मंत्र जणी अर्घ्य दीधाबाद तेनी नीचे प्रमाणे स्तुति करवी. निधाननवकारूढ, उत्तरस्यां दिशि प्रजुः ॥ संघस्य शांतये सोऽस्तु, बलिपूजां प्रयन्तु ॥२॥ एवी रीते कुबेरपूजननो विधि जाणवो, हवे ईशानपूजननो विधि कहेले. पुष्पादिकनी अंजलि जरोने, ॐ ह्रीं हुँ हः इ. शानसंबौषट् ' एवी रीतनो मंत्र जणीने, इशानना मंमलने वधाववं. पली एकला चंदनथी तेना मंगखने आलेख. पड़ी ॐ नमो इशानाय, इशानपतये, त्रिशूलवाहनाय, सपरिजनाय; अमुकदे' - त्यादि मंत्रपूर्वक पूर्वनी पेठेज तेना आह्वाहन थादिकनी क्रिया करवी. चंदनपूजामां सुखमनी, पुष्पपूजामां कुमुदनी, फलपूजामा सेलडीनी, वस्त्रपूजामा सफेद वस्त्रनी, तथा नैवेद्यपूजामां घेसीयादलनी पूजा करवी. वाकीनो सघलो विधि श्रादित्यपूजन प्रमाणेज जाणवो. पड़ी पुष्पादिकनी अंजलि नरीत्रणवार मंत्रपूर्वक अर्घ्य देश्ने, नीचे प्रमाणे तेनी प्रार्थना करवी. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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