Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
हवे शनिपूजननो विधि कहे. पुष्प थादिकथी अंजलि जरीने, 'ॐ शनैश्चराय आँ काँ ही क्रोमाय नमः' एवी रीतनो मंत्र नणीने; शनिना मंगलने वधाव. पनी चुयामां कस्तुरीने मेलवीने तेथी तेनुं मंगल आलेखq. पनी आगलनी पेठे 'ॐनमः शनैश्चराय' इत्यादिक पाठपूर्वक तेना आह्वान आदिकनो विधि करवो. चंदनपूजामां कंकु; पुष्पपूजामां ममरो, वस्त्रपूजामां आसमानी रंगनुं व. स्त्र, फलपूजामां खारेक, तथा नैवेद्यपूजामां अमदनी दालनो लामु चमाववो. बाकीनो बीजो सघलो वि. धि आदित्यपूजननी पेठेज जाणी लेवो. अकलबेरनी नोकरवाली तेना मंत्रपूर्वक गणवी. पठी पुष्पयादि. कथी त्रणवार अर्घ्य देश्ने, नीचे प्रमाणे स्तुति करवी. श्रीसुव्रतजिनेऽस्य, नाम्ना सूर्यांगसंगवः ॥ प्रसन्नो नव शांति च, रहां कुरु जयश्रियं ॥१॥ एवी रीते शनिपूजननो विधि जाणवो. हवे राहुपूजननो विधि कहे . पुष्प आदिकथी अंजलि जरीने; ॐ वां ाँ वः
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106