Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 65
________________ (६४) बावः पिंगलनेवाय, कृष्णरूपाय, राहवे नमः स्वाहा' एवी रीतनो मंत्र जणीने राहुनां ममलने वधाव. पड़ी धागलनीज पेठे कस्तुरी मेळवीने, तेथी तेनुं मंगल आलेख. पड़ी आगळनीज पेठे 'ॐ नमो राहवे' इत्यादि पाठपूर्वक तेनो आह्वान थादिकनो विधि करवो. वली चंदनपूजामा कंकुनी, पु. ष्पपूजामां मुचकुंदनां पुष्पोनी, वस्त्रपूजामां कालां कपमांनी, फल पूजामां श्रीफलनी तथा नैवेद्यपूजामां अमदना लामुनी अथवा तलवटनी पूजा करवी. बाकीनो सघलो विधि आदित्यपूजनप्रमाणे जाणवो. वली अकलबेरनी तेनां मंत्रपूर्वक नोकरवाली गणवी. पत्री पुष्प आदिकथी त्रणवार अर्घ्य देश्ने, नीचे प्रमाणे तेनी स्तुति करवी. श्रीनेमिनाथतीर्थेश, नाम्ना त्वं सिंहिकासुतः॥ प्रसन्नो जव शांतिं च, रदां कुरु जयश्रियं ॥१५॥ एवी रीतें राहुपूजननो विधि जाणवो. हवे केतु. पूजननो विधि कहे . अंजलिमा पुष्प आदिक बेश्ने 'ॐ काँ को के Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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