Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 41
________________ कहे , पेहेलो तेउमा खप श्रावतां उपकरणो कहे है. श्री आदिनाथ, अजितनाथ, शांतिनाथ तथा श्रीपार्श्वनाथनी एम चार प्रतिमा, अथवा चोवी. सवटो, परनालवालो बाजोड नंग एक, सिंहासन नंग चार, बत्र नंग चार, माटली नंग एक सवामणनी, माघाविनानां कोरा राता कुंन नंग बे, तेमां एक एक मण माय तेवमो, अने बीजो दश शेर माय तेवमो, एक मण माय तेवा बीजा मोटा कलशा नंग चार, त्रांबाकुंमी नंग बे, अथवा न्हवण अने पंचामृत जरवानां रातां कुमां नंग बे, रुपा धादिकना कलशा नंग चार, अथवा आठ, नाना कल शिक्षा नंग चार, एकसो ने बाउ नालवांनो कलस नंग एक मोटो, ग्रह तथा दिग्पालोने थाप. वाना शीशमना चोखमा पाटला नंग बे, बीजा ना. ना पाटला नंग त्रीश, ब्रह्मचारी स्नात्रीया पुरुषो एकसो ने आठ, अथवा सत्तावीश, गेवासुत्र शेर सवा अथवा दोढ, नानी दोवेट नंग एकसो ने अाठ अथवा सत्तावीश, मोटां सरावला नंग बे, आ. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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