Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 44
________________ (५३) पारी, धूप विगेरेथी पूजन करे, अने पढ़ी जलशुघिमंत्र जणीने, अंकुश मुखाथी ते पाणी बहार कहामवं. ते पाणी उपामी लावनार स्त्रीने तंबोल थादिक परजावना देवी. तथा गानारी स्त्रिउने पण परजावना देवी. सुखम शेर अढी अथवा सवानां टुकमा नंग बे, कस्तूरी टांक सवा, केशर टांक दश अथवा पांच, हींगलो टांक अढी, गोरोचन टांक सवा, जीमसेनी शुरु बरास टांक पांच अथवा थही, चीना कपुर टांक अढी अथवा सवा, गोल टांक पांच, मीठं, माटी, तथा कंकु शेर सवा, वास अगर शेर सवा अथवा अरध, अगरबत्ती शेर सवा, वालाकुंची नंग बे, वींऊणो नंग एक, अबोट अख्याणाना चोखा शेर एकवीस, अखंड चोखा शेर दश, अथवा आठशेरनी एकसो ने बाउ ढगली करावी, तथा कपुर कस्तुरीए वासित दूध, दही, घी, शेलमीनो रस, अने पाणी, प्रत्येक शेर सवा, सेवारसथी को दीधेली जघन्यथीं औषधी बारर्नु पूर्ण शेर पा, ते औषधीयोमा मूलसहित माल, ह Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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