Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 55
________________ दरीया तास्तो बांधवो. (विध्यंतरे वाळानु बातद्वं ढोकवू. पड़ी ते माटलीने चंदनथी पूजवी, तथा तेने पुष्पोनी माळा पदेराववी. पड़ी उत्तम शुरू बोलनार श्रावके, नोकार; उवसग्गहरं, संतिकरं, तिजयपहुत्त, नमिऊण, अजितशांति, तथा जक्ता. मर, एम सात स्मरणो गणवां, ते वखते एक बीजा श्रावके अगरनो धूप करवो, पनी जे एकसो ने आठ नवाण- पाणी बाकी रह्यु होय, तेथी नाना मंगल कुंचने नरीने, ते माटलीनी जोडे, अणुवरनीपरें स्थापवो. सात स्मरण गणतां वचे कंई बीजुं बोलबुं नहीं. - हवे ग्रह दिक्पासनां पूजननो विधि कहेले. वृद्ध नत्रीयाए सवननां पाटलाने शुद्ध जलथी धोक्ने, उत्तम धूपथी वासित करवो. पड़ी अघेमानी लेखणथी सुखम, केसर, कपुर, कस्तूरी अने हींगलाना कर्दमथी तेने लिप्त करवो. पठी ते पा टलाने प्रजुनां जमणे पासे स्थापवो. पनी चंद्र था. दिक- आगल विस्तारथी कहेवामां आवशे, तेवी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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