Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 43
________________ (४२) अथवा सरीयानी लेखण नंग एक, कचोला नंग बे वाटकी नंग त्रण, बाबमी नंग चार, कंकुनी वाटकी नंग एक, चामर नंग एक, घंट नंग़ एक, फालर नंग एक, नालीएर नंग नव, मोटा वाटका नंग दश, थाख नंग त्रण, गायना घीनो पांचशेरनो गामुन नंग एक, चंडवो नंग एक, ध्वजा नंग बे, निखारे. लां अंगदुणां नंग चार, धोतीयांना जोटा नंग ए: कसो ने आठ, अथवा सत्तावीश, परधोतीयां नंग चार, स्नात्रीयाउने अंगमईन तथा स्नानमाटे सुगंधि तेल विगेरे, मुहपत्ति नंग एकसो ने आठ अथवा सत्तावीश, मावाली धोली पडेमी नंग बे, (विध्यंतरे राती पण कही .) दरीया तास्तो गज एक अथवा सवा, कमलवरj कपडं गज बे; पीलु कापम गज दोढ, तथा एकसो ने बावजलाशयोनां पाणी, तेमां प्रथम गंगाजलनुं पाणी, शक्ति होय तो जलजात्रा महोत्सवथी ते पाणी लाव, अने तेम न बने तो आठ जलाशयतुं पाणी लावबुं. ते पाणी पाठ सधवा स्त्रियो वाजते गाजते लावे; ते पाणी लेती वखते जलाशयतुं श्रीफल, सो. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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