Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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सदर, वरीयाली, वालो, मोथ, पीपळीमूल, लवींग कंकोल, जायफल, जावंत्री, नखला, तथा सुखम जागवां. सेवंतरां नंग चारसो ने बत्रीश, फुल गुंथेला शेर पांच, अथवा दश, पाणीवाळां श्रीफल नंग एकसोने सामनीश, अथवा एकसोने वीस, सोपारी राती नंम एकसोने चालीस, सोपारी धोळी नंग एकसोने चालीस, चोखी बदाम नंग एकसो ने थाउ, खारेक नंग एकसो ने आठ, जाख नंग एकसो ने आठ, शींगोमां नंग एकसो ने आठ, निमजा नंग एकसो ने आठ, पस्तां नंग एकसो ने आठ, नालीयेरना गोटा नंग एकसो ने आठ, अथवा तेनां टुकमा नंग एकसो ने आठ, साकरना गांगमा नंग एकसो ने याठ, अखोम नंग एकसो ने बाउ, कमलकाकमी नंग एकसो ने उ, सेलमीना टुकमा नंग एकसो ने पाठ, केला नंग एकसो ने आठ, जंबीरां नंग एकसो ने आठ, नारंगी नंग एकसो ने बाउ, कमरख नंग एकसो ने आठ, दामीम नंग एकसो ने
आठ, अंजीर नंग एकसो ने बाउ, एलचीनां मोमा नंग एकसो ने आठ, सेवइया लामु नंग एकसो ने
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