Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 52
________________ (५१) वली कः कः स्वाहा' एवी रीतना मंत्री एकसोने आग्वार अथवा एकवार मंत्रीने सर्व स्नात्रियाउँने हाथे ते बांधवं, तथा मीढोल आदिक बीजां उपकरणो पण बांधवां; वळी ते स्नात्रियाउँने जघन्यथी आठ दिवससुधि ब्रह्मचर्य पाळवानुं प्रत्याख्यान देवं. पली चार वृक्ष स्नात्रियाए आदिनाथ प्रमुखनी चारे प्रतिमाउनुं देरासरमा सामान्य प्रकारे पूजन करवू. पड़ी ते चार स्नात्रियाए ते एकेकी प्रतिमाने थालमां बेश्ने, जीहां पीठस्थापन होय, त्यां 'ॐ नमोऽर्हत्परमेश्वराय, चतुर्मुखाय, परमेष्टिने, दिक्कुमारीपरिपूजिताय, देवाधिदेवाय, त्रैलोक्यमहिताय, अत्र पीठे तिष्ट तिष्ट स्वाहा' एवी रीतनो मंत्र त्रण वार जणीने, अनुक्रमें अकेकी प्रतिमा स्थापन करवी. पड़ी ते प्रनालिकावाला बाजोग्ने दरेक पाये अख्याएं शेर पांच तथा श्रीफल नंग चार मुकवां, पठी त्यां उत्तम धूप करवो. पठी त्रांबानां बे कोमी. यामां सधवा स्त्रीपासे गायनुं घी पुराव. पड़ी वृद्ध स्नात्रियाए 'ॐ घृतमायुर्वृद्धिकरं जवति परं जैन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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