Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( ३३ ) जवाद रक्ष रक्ष, बलिं गृह, गृह, गछ, गछ, स्वाहा' एवी रीतनो मंत्र जणीने इंद्रने विसर्जन करवो. पी 'नमो निमूर्त्तये, सगतिहस्ताय, मेषवाहनाय, सायुधाय' ईत्यादि उपर प्रमाणे निमंत्र जा वो. पछी 'ॐ नमो यमाय, दक्षिणदिगधिष्ठायकाय, महिषवाहनाय, दंडायुधाय, कृष्णमूर्तये इत्यादि उपर प्रमाणेज यममंत्र जाणवो पढी 'ॐ नमो नैकृतायं खमूगहस्ताय, सवाहनाय, सायुधाय' इत्यादि उपर प्रमाणेज नैकतमंत्र पण जाणवो. पछी ॥ ॐ नमो वरुणाय, पश्चिमदिगधिष्ठायकाय, मकरवाहनाय, पाशहस्ताय, सपरिजनाय नम इत्यादि उपर प्रमाणेज वरुणमंत्र जापवो. पडी 'ॐ नमो वायव्याग्र, वायव्याधिपतये, ध्वजहस्ताय दरिवादनाय, सपरिजनाय' इत्यादि उपरप्रमाणेज वायव्यमंत्र पण जाणी लेवो. पढी : ॐ नमो धनदाय, पाताल निवासनाय, पद्मवाहनाय, सायुधाय, सपरिजनाय, छामुक नगरे अमुकचैत्ये, श्रीजिनबिंब प्रवेश महोत्सवे, लिपूजां गृह गृह्ण, सर्वोपद्रवान् नाशय नाशय, ग
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