Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 36
________________ (३५) पन करे, नवमे दिवसे कुटुंबमा सर्वेने आंबेल करावे. दशमे दिवसे शक्ति होय तो अष्टोत्तरी स्नात्र करे. ते दशे दिवसोसुधि एकसो आठ नोकार, तथा एकसो आठ उवसग्गहरंना पाठ फुलगुंथणीए गणे तथा मूळनायकजीनी पण नोकरवाली गणे. दशमे दिवसे संध्याकाले अखंग चोखा शेर सवा, खांमनुं बुरुं शेर सवा, तथा गायनुं घी शेर सवा, उत्तम पात्रमा जरीने, गुरुसहित, अने तेमनो जो योग न होय तो दश ब्रह्मचर्य श्रावकसहित, जिनमंदिरना मंगपमध्ये आववं, तथा त्यां उन्ना रहीने. थने ते चोखा विगेरेनी पसली जरीने नीचे प्रमाणे स्तोत्रं जण. श्रुणिमो केवलिवत्थं, वरविजाणंदधम्म कित्तित्थं ॥ देविंदनयपयत्थं, तित्थयरं समोवसरणत्थं ॥१॥ पयामेसमस्थन्नावो, केवली जावो जिणाण जत्थानवे॥ सोहंति सम्पतिहिं, महिमा जोयणमनिलकुमाराश परिसंति मेहकुमारा, सुरहिजलंरिंउसुराकुसुमपसरं विरयंति वलामणिकणग, रयणचितं महिलं तो।३। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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