Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 28
________________ (२७) वके, नीचे प्रमाणे दशदिग्पालो, थाह्वाहन करवू. अने बीजाए पण ते प्रमाणे बोलवू. तेमां प्रथम अनुं आह्वाहन नीचे प्रमाणे करवू. "ॐ नमो इंसाय, सायुधाय, सवाहनाय, सपरिकराय, अमुकनगरे, श्रीजिनबिंबप्रवेशमहोत्सवे थागह आगड स्वाहा” एवी रीतनो मंत्र जणीने बाकुला उमामवा. ते मंत्र बोलाती वखते बाजीत्रो वगामवां नहीं, पण वाकुला उमामतां थकां ते सर्वे वगामवां. पली अग्निखुणातरफ उत्नीने नीचे प्रमाणे आहाहन करवू. 'ॐ नमो अग्नये' इत्यादि सर्व पाठ उपर प्रमाणे कहेवो. पड़ी 'ॐ नमो यमाय' 'ॐ नमो नैश्त्याय' 'ॐ नमो वरुणाय,' 'ॐ नमो वायवे, 'ॐ नमो धनदाय,' 'ॐ नमो शानाय:' 'ॐ नमो ब्रह्मणे;' तथा 'ॐ नमो नागाय,' एवी रीतनां दरेकप्रत्ये उपर प्रमाणे पाठ जणीने बाकुला उबालवा, तथा ते वखते वाजीत्रो वगामवां. हवे बिंबप्रवेशने दिवसे प्रजातमां शिवननां पादबापर यक्षकर्दमथी यंत्रमा कहेला विधिपूर्वक नव Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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