Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 26
________________ (२५) करवी. पनी ते नैवेद्य तथा बलकाकुलापर गायन घी शेर सवा, तथा खांमर्नु बुरुं शेर सवा नांखq. वळी तेपर सफेद अने रातांकणेरनी तथा पचरंगी माळा पढेराववी.पछी भूतबलिमंत्रथीत्रणवार मूठी जरीने तेपर वासदेप करवो. पछी ते सघळाने नीचेना मंत्रथी मंत्रित करवा. ॐ नमो अरिहंताणं, ॐ नमः सिद्धाणं, ॐ नमो थायरियाणं, ॐ नमो उवसायाणं, ॐ नमो लोए सव्वसाहणं, ॐ नमो आगासगामिणं, ॐ नमोचा. रणाश्ल द्विणं, जोश्मे किंनर; किंपुरिस, महोरग, मरुल, सिद्ध, गंधर्व, जख्खरख्खस्स सारणी, माश्षी भूयपीयपिसाय सारणीमाएणी पनीरजो जिणघरशिवासिणो निय निय निलयठिया, पवीयारिणों समाहिया, असन्नहिया ते सव्वे इम विलेपन, फूल भूष, फल पइव सणाहवली पमिछता, तुहिकराजमंतु, संतीकरा नवंतु, सुत्थं जणं कुणंतु, सव्वजिणावसन्निहाणप्पनावउ, पसन्नजावतपेण सवत्थ रकं कुणंतु, सव्वत्य दुरियाणि नासंतु, सव्वालियभुवस Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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