Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 21
________________ (२०) धरनार, पुष्पचंगेरी धरनार, कोरां बखि परमार, त. था तेनी आगळ संघ, पडी वळी धूप धरनार चाले, आगळ पंच शब्द वाजां, निशान प्रमुख पण चाले. पाबळ सुहागण स्त्रीयो अनेक प्रकारनां धवलमंगल गाय. मार्गमां 'ॐ पुण्याहं पुण्याहं प्रियंतां प्रियंतां' विगेरे मंत्रो बोलीने कोरां बलिबाकुला उमामवा. वळी ते वखते बलिबाकुला उमामतां थकां नीचे प्रमाणे दश दिग्पालोने बोलाववानो मंत्र पण नणवो. ___ॐ नमो इंसाय, ॐ नमो अग्नये, ॐ नमो यमाय, ॐ नमो नैझताय, ॐ नमो वरुणाय, ॐ नमो वायव्याय, ॐ नमः कुबेराय, ॐ नम श्शानाय, ॐ नमो ब्रह्मणे, ॐ नमो नागाय. समस्त क्षेत्रदेवदेवाय, सायुधाय, सपरिकराय, श्रीजिनबिंबप्रवेशमहोत्सवे आगजंतु स्वाहा' एवी रीतनो दिग्पालमंत्र जणीने बलबाकुला उमामवा. ते कोरा बलबाकुलामां गहुँ, चणा, ज्वार, मग, चोला, जव, अमद, अथवा सरसव, द्राख, बदाम, विगेरे मेवा, तथा टोपराना नाना नाना टुकमा एकठा करीने उबालवा. पाणीनो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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