Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner
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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
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नामक एक नगर था। श्रीदेवी था। उसी नामें
(२) उज्झित कुमार की कथा वाणिज्यग्राम नामक एक नगर था। उसमें मित्र नाम का राजा राज्य करता था। उसकी रानी का नाम श्रीदेवी था । उसी नगर में कामध्वजा नामक एक वेश्या रहती थी। वह पुरुष की ७२ कला में निपुण थी और वेश्या के ६४ गुण युक्त थी। उसी नगर में विजय मित्र नामक एक सार्थवाह रहता था । उसकी स्त्री का नाम सुभद्रा था। उनके पुत्र का नाम उज्झित कुमार था ।
एक समय श्रमण भगवान् महावीर स्वामीवहाँ पधारे। उनके ज्येष्ठ शिष्य गौतम स्वामी भिक्षा के लिए नगर में पधारे। वापिस लौटते हुए उन्होंने एक दृश्य देखा-कवच और झल आदि से सुसज्जित वहुँतसे हाथोघोड़े और धनुषधारी सिपाहियो के बीच में एक आदमी खड़ा था । वह उल्टी मुश्कों से बन्धा हुआ था। उसके नाक कान आदि का छेदन किया हुआ था। चिमटे से उसका तल तिल जितना मांस काट काट कर उसी को खिलाया जा रहा था । फूटा हुआ ढोल बजा कर राजपुरुष उद्घोषणा कर रहे थे कि इस उज्झित कुमार पर राजा या राजपुत्र आदि किसी का कोप नहीं है किन्तु यह अपने किये हुए कर्मों का फल भोग रहा है। इस करुणा जनक दृश्य को देख कर गौतम स्वामी भगवान् के समीप आये ।.सारा वृत्तान्त कह कर पूछने लगे कि हे भगवन् ! यह पुरुष पूर्वभव में कौन था, इसने क्या पाप किया जिरासे यह दुःख भोग रहा है ?
भगवान् फरमाने लगे-जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में हस्तिनापुर नाम का एक नगर था। वहाँ सुनन्द नाम का राजा राज्य करता था। उसी नगर में एक अति विशाल गोमंडप (गोशाला)था। उसमें बहुत सी गायें, मैंसें, वैल, भैंसा, साँड आ.द रहते थे। उसमें घास पानी आदि खूब था इसलिए सब पशु सुख पूर्वक रहते थे ।