Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner
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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला अधिक हों तो जानना चाहिए कि बाहर के कौए यहाँ मेहमान आये हुए हैं यह उत्तर सुन कर चौद्ध भिक्षु निरुत्तर होकर चुपचाप चला गया। जैन साधु की यह औत्पत्तिकी बुद्धि थी। . (८) उच्चार (मल परीक्षा)-किसी शहर में एक ब्राह्मण रहता था। उसकी स्त्री रूप और यौवन में भरपूर था । एक बार वह अपनी स्त्री को साथ लेकर दूसरे गाँव जा रहा था। रास्ते में उन्हें एक धूर्त पथिक मिला। ब्राह्मणी का उसके साथ प्रेम हो गया। फिर क्या था, धूर्त ने ब्राह्मणी को अपनी पत्नी कहनाशुरू कर दिया। इस पर ब्राह्मण ने उसका विरोध किया। धीरे धीरे दोनों में ब्राह्मणी के लिये विवाद बढ़ गया । अन्त में वे दोनों इसका फैसला कराने के . लिये न्यायालय में पहुंचे । न्यायाधीश ने दोनों से अलग अलग पूछा कि कल तुमने और तुम्हारी स्त्री ने क्या क्या खाया था। ब्राह्मण ने कहा-मैंने और मेरी स्त्री ने कल तिल के लड्डू खाये थे। धूर्त ने और कुछ ही बतलाया।इस पर न्यायाधीश ने ब्राह्मणी को जुलाव दिलाया। जुलाब लगने पर मल देखा गया तो तिल दिखाई दिये न्यायाधीश ने ब्राह्मण को उसकी स्त्री सौंप दी और धूर्त को निकाल दिया। न्यायाधीश की यह औत्पत्तिकी बुद्धिथी। ___(6) गज-वसन्तपुर का राजा अतिशय बुद्धि सम्पन्न प्रधान मन्त्री को खोज में था। बुद्धि की परीक्षा के लिये उसने एक हाथी चोराहे पर बँधवा दिया और यह घोषणा करवाई-जो इस हाथी को तोल देगा, राजा उसको बहुत बड़ा इनाम देगा । राजा की घोपणा सुन कर एक बुद्धिमान पुरुष ने हाथी को तोलना स्वीकार किया। उसने एकबड़े सरोवर में हाथी को नाव पर चढ़ाया। हाथी के चढ़ जाने पर उसके वजन से नाव जितनी पानी में डूबी वहाँ उसने एक रेखा (लकीर) खींच दी फिर नाव को किनारे लाकर . हाथी को उतार दिया और उसमें बड़े बड़े पत्थर भरना शुरू किया।