Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 264
________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, छठा भाग २६ खियों में निम्न दस लब्धियों के सिवाय शेष लब्धियाँ पाई जाती हैं। १ अहल्लब्धि २ चक्रवर्ती लब्धि ३ वासुदेव लब्धि ४ बलदेव लब्धि ५ सम्मिन्नश्रोतो लब्धि ६ चारण लब्धि ७ पूर्वधर लब्धि ८ गणधर लब्धि ६ पुलाक लब्धि १० आहारक लब्धि । उपरोक्त दस और केवली लब्धि, ऋजुमति लन्धि तथा विपुलमति लन्धि ये तेरह लब्धियाँ अभव्य पुरुषों में नहीं होती हैं। उक्त तेरह और मधुचीरसर्पिराश्रव लब्धि ये चौदह लब्धिअभव्य स्त्रियों में नहीं पाई जाती अर्थात् अभव्य पुरुषों में ऊपर बताई गई तेरह लब्धियों को छोड़ कर शेष पन्द्रह लब्धियाँ और अभव्य स्त्रियों में उपरोक्त चौदह लब्धियों को छोड़ कर बाकी चौदह लब्धियाँ पाई जा सकती हैं। (प्रवचन सारोद्धार द्वार २७० गाथा १४६२-१५०८) उनतीसवां बोल संग्रह ६५५-सूयगडांग सूत्र के महावीर स्तुति नामक छठे अध्ययन की २६ गाथाएं सूयगडांग सूत्र प्रथम श्रुतस्कन्ध के छठे अध्ययन का नाम महावीरस्तुति है। इसमें भगवान महावीर स्वामी की स्तुति की गई है। इसमें २६ गाथाएं हैं । उनका भावार्थ इस प्रकार है (१) श्री सुधर्मास्वामी ने जम्बूस्वामी से कहा कि श्रमण ब्राह्मण क्षत्रिय आदि तथा अन्य तीर्थकों ने मुझ से पूछा था कि हे भगवन् ! कृपया बतलाइये कि केवलज्ञान से सम्यक् जान कर एकान्त रूप से कल्याणकारी अनुपम धर्म को जिसने कहा है वह कौन है ? (२) ज्ञातपुत्र श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के ज्ञान दशन और चारित्र कैसे थे ? हे भगवन् ! श्राप यह जानते हैं अतः जैसे मापने सुना और निश्चय किया है वह कृपया हमें बतलाइये ।

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