Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 244
________________ २७४ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला पुरोहित की अंगूठी दी और कहा-पुरोहित के घर जाकर इनकी स्त्री से कहना कि पुरोहितजी अमुक दिन अमुक समय धरोहर में रखी हुई उस गरीब की एक हजार मोहरों की नोली मँगा रहे हैं । आपके विश्वास के लिये उन्होंने अपनी अंगूठी भेजी है। पुरोहित के घर जाकर नौकर ने उसकी स्त्री से ऐमा ही कहा। . पुगेहित की अंगूठी देख कर तथा अन्य बातों के मिल जाने से स्त्री को विश्वास हो गया और उसने आये हुए पुरुष को उस गरीब की नोली दे दी ! नौकर ने जाकर वह नोली राजा को दे दी। राजा ने दूसरी अनेक नोलियों के बीच वह नोली रख दी और उस गरीब को भी वहाँ बुला कर बिठा दिया। पुरोहित भी पास ही में बैठाथा । अनेक नोलियों के बीच अपनी नोली देख कर गरीब बहुत प्रसन्न हुआ। उसने वह नोलो दिखाते हुए राजा से कहास्वामिन् ! मेरी नो नी ठीक ऐसी ही थी। यह सुन कर राजा ने वह नोली उसे दे दी और पुरोहित को जिह्वाछेद का कठोर दण्ड दिया धरोहर का पता लगाने में राजा की औत्पत्तिकी बुद्धि थी। (२०) अङ्क-एक नगर में एक प्रेतिष्ठित सेठ रहता था लोग उसे बहुत विश्वासपात्र समझने थे । एक समय एक आदमी ने उसके पास एक हजार रुपयों से भरी हुई एक नोली रखी और वह परदेश चला गया। सेठ ने उस गेली के नीचे के भाग को काट कर उसमें से रुपये निकाल लिये और बदले में नकली रुपये भर दिये । नोली के कटे हुए भागको सावधानी पूर्वक सिला कर उसने उसे ज्यों की त्यों रख दी । - कुछ दिनों बाद वह आदमी परदेश से लौट कर आया। सेठ के पास जाकर उसने अपनी नोली मांगी तब सेठ ने उसकी नोली दे दी। घर आकर उसने नोली को खोला और देखा तो सभी खोटे रुपये निकले । उसने जाकर सेठ से कहा। सेठ ने जवाब दिया

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