Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner
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...www.mrow...ओ.जन सिद्धान्त बाल संग्रह छठा.आग... . ....१२.१ wimmamirmirmirmmmmmkinrammmmmmmmmamianmeroen सोचने लगी- यदि हमारे पास सेंचानक गन्धहस्ती नहीं है. तो यह राज्य हमारे किस काम का इसलिये विहल्लकुंमार से.सेचानक गन्धहस्ती अपने यहाँ मंगा लेने के लिये मैं राना कोणिक से प्रार्थना करूँगी । तदनुसार उसने अपनी इच्छा राजा कोणिक के सामने प्रकट की। रानी की बात सुनकर पहले तो.राजा ने उसकी चीत को टोल दिया। किन्तु उसके बार-बार कहने पर रांजा के हृदय में भी यह बात जंच गई। उसने विहल्लंकुंमारं से हार और हाथी मांगे। विहल्लकुमार ने कहा यदि आप हार और हाथी लेना चाहते हैं तो मेरे हिस्से को राज्य मुझे दे दीजिये । विहल्लकुमार को न्यायसंगत बात पर कोणिक ने कोई ध्यान नहीं दिया ! उसने हार और हथिी जबरदस्ती छीन लेने का विचार किया। इस बात का पता बर विहल्लकुमार का लगा तो हार और हाथी को लेकर अन्तःपुर सहित वह विशाजी नगरी में अपने नाना 'चेड़ा राजा की शरण में चला गया। तत्पश्चात् राजा कोणिक ने अपने नाना चेड़ा राजा के पास यह संदेश देकर एक दूत भेजा कि विहल्लभार मुझे विना पूछे वकचूड हार और सेचान गन्धहस्ती लेकर आपके पास चला आया है इसलिये उसे 'मेरे पास शीत्र चापिय नेज दीजिये। ii. .. .. .. . '
विशाला नगरी में जाकर दूत चेड़ा गंज की सेवा में उपस्थित हुया ! उसने राजा कोणिक कासिंदेश कह सुनाया । चेड़ा राजा ने कहा- तुम कोणिक से कहना कि जिस प्रकार तुम श्रेणिक के पुत्र चीनी कागजात मेरे दोहिते हो उसी प्रकार विहल्लकुमार भी श्रेणिक का पुत्र चलना काय गजात मेरा दोहिता है। श्रेणिक राजा जके जीवित थे. तब उन्होंने यह हार और हाथी विहल्लकुमार को दिये थे । यदि अब तुम उन्हें लेना चाहते हो तो विहल्लकुमार को राज्य को प्राधा हिस्सा दे दो। . . .