Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 196
________________ कांचनपुर साकेतपुर (और शौरिपुर अहिन्ना और मिथिला २२४ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला होता है तथा जहाँ धर्म का अधिक प्रचार होता है उसे आर्य क्षेत्र कहते हैं। आर्य क्षेत्र साढ़े पच्चीस हैं: (१) मगधदेश और राजगृह नगर (२) अंगदेश और चम्मा नगरी (३) बगदेश और ताम्रलिप्ती नगरी (४) कलिंगदेश और कांचनपुर नगर (५) काशीदेश और वाराणसी नगरी (६। कोशल देश और साकेतपुर (अयोध्या) नगर (७) कुरुदेश और गजपुर नगर (८) कुशावर्त देश और शौरिपुर नगर (6) पंचालदेश और कांपिल्यपुर नगर (१०) जंगलदेश और अहिच्छत्रा नगरी (११) सौराष्ट्रदेश और द्वारावती नगरी (१२) विदेहदेश और मिथिला नगरी (१३) कौशाम्बी देश और वत्सा नगरी (१४) शांडिल्य देश और नन्दिपुर नगर (१५) मलयदेश और भदिलपुर नगर (१६) वत्सदेश और वैराटपुर नगर (१७) वरणदेश और अच्छा नगरी (१८) दशार्ण देश और मृत्तिकावती नगरी (१६) चेदि देश और शौक्तिकावती नगरी (२०) सिन्धु सौवीर देश और वीतभय नगर २१) शूरसेनदेश और मथुरा नगरी २२) भंग देश और पापा नगरी (२३) पुरावर्त देश और भाषा नगरी (२४) कुणालदेश और श्रावस्ती नगरी (२५) लाटदेश और कोरिवर्ष नगर (२५॥) केकयाई देश और श्वेताबिका नगरी। (प्रवचनसारोद्धार २७५ द्वार) (पनवणा १ पद ३७ सूत्र) (वृकल्प उद्दशा १ नियुक्ति गाथा ३.६३) * प्रज्ञापना टीका में वत्सदेश और कौशाम्बी नगरी है और यही प्रचलित है पर इस प्रकार अर्थ करने से 'वत्स' नाम के दो देश हो जाते हैं। इसके सिवाय मूल पाठ के साथ में भी इस अर्थ की अधिक संगति मालूम नहीं होती। मूल पाठ मे नगरी और फिर देश का नाम,यह क्रम है और यह क्रम कौशाम्बी देश और वत्सा नगरी अर्थ करने से हा कायम रहता है। कौशाम्बी नगरी और वत्स देश करने से यह क्रम भग रोजाता है। इसलिये मूल पाठ के अनुसार ही यहाँ कौशाम्बी देश और दत्सा नगरी रखेगये हैं।

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