Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner
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श्री सेठिया जन ग्रन्थमाला ' यन्त्र में चौबीस तीर्थङ्करों के सम्बन्ध में २७ बातें दी गई हैं इनके अतिरिक्त और कुछ ज्ञातव्य बातें यहाँ दी जाती हैं:--
तीर्थङ्कर की माताएं चौदह उत्तम स्वप्न देखती हैं-- गय, वसह सीह अभिसेय दाम ससि दिणयरं झयं कुंभ । पउमसर सागर विमाण भवण रयणऽग्गि सुविणाई ॥
भावार्थ-गज, वृषभ, सिंह, लक्ष्मी का अभिषेक, पुष्पमाला चन्द्र, सूर्य, ध्वजा, कुम्भ, पम सरोवर, सागर, विमान या भवन, रत्न राशि, निधूम अग्नि-ये चौदह स्वप्न हैं। णरय उबट्टाणं इहं भवणं सग्गच्चुयाण उ विमाणं । वीरसह सेस जणणी, नियंसु ते, हरि विसह गयाइ ॥
भावार्थ-नरक से आये हुए तीर्थङ्करों की माताएं चौदह स्वप्नों में भवन देखती हैं एवं स्वर्ग से आये हुए तीर्थङ्करों की माताएं भवन के बदले विमान देखती हैं । भगवान महावीर स्वामी की माता ने पहला सिंह का, भगवान् ऋषभदेव की माता ने पहला वृषभ का एवं शेष तीर्थङ्करों की माताओं ने पहला हाथी का स्वप्न देखा था
(सप्ततिशत स्थान प्रकरण १८' द्वार गाथा ७०-७१)
तीर्थङ्करों के गोत्र एवं वंश गोयम गुत्ता हरिवंस संभवा. नेमिसुधया. दो वि । कासव गोता इक्खागु वंसजा सेस - बावीसा ||
भावार्थ-भगवान् नेमिनाथस्वामी और मुनिसुव्रत स्वामी ये दोनों गौतम गोत्र वाले थे और इन्होंने हरिवंश में जन्म लिया था। शेष बाईस तीर्थङ्करों का गोत्र काश्यप था और इक्ष्वाकु वंश में उनका जन्म हुआ था। (सप्ततिशत स्थान प्रकरण ३७-३८ द्वार गाथा १०५)
तीर्थंकरों का वर्ण . पउमाम वासुपुज्जा रत्ता ससि, पुष्पदंत ससिगोरा । सुन्वयनेमी. • काला पासो मल्ली पियंगाभा .