Book Title: Jain Nyayashastra Ek Parishilan
Author(s): Vijaymuni
Publisher: Jain Divakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ७ ) माना जाएगा। न्याय के विद्यार्थियों के लिए भी विशेष उपयोगी और संग्रहणीय होगा। __ मूल ग्रन्थ जितना महत्त्वपूर्ण है, इसका परिशिष्ट उतना ही उपयोगी और ज्ञानवर्धक बन गया है । नय-निक्षेप-प्रमाण के ज्ञान सागर को इस छोटी-सी गागर में भरने की कुशलता के लिए दर्शनशास्त्र का पाठी मुनिश्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देगा। ___ मुनिश्री ने अतीव स्नेह एवं उदारतापूर्वक इस ग्रन्थ के प्रकाशन का सम्पूर्ण दायित्व 'दिवाकर प्रकाशन' को प्रदान किया है। हम आपश्री के अत्यन्त आभारी चिर कृतज्ञ रहेंगे । प्रकाशन में उदारता पूर्वक अर्थ सहयोग देने वाले धर्म बन्धुओं का भी हम आभार मानते हैं । --श्रीचन्द सुराना 'सरस' For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 186