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इतना विस्तृत है कि इसे इसी प्रकार के दुगुने प्रयास द्वारा भी पूर्णत: व्याख्यायित कर पाना सम्भव नहीं लगता। ___ अन्त में, हमारा उन सभी महानुभावों के प्रति आभार कि जिन्होंने हमारे अनुरोध को स्वीकार किया और पुस्तक के लिए अपेक्षित लेख यथासमय भेजकर ज्ञानपीठ को सहयोग प्रदान किया।
पुस्तक के प्रधान सम्पादक प्रो. वृषभ प्रसाद जैन, लखनऊ का आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने इस श्रमसाध्य कार्य के लिए अपना बहुमूल्य समय दिया, विद्वान् लेखकों से निरन्तर सम्पर्क बनाए रखकर कार्य को विधिवत् सम्पादित किया। भारतीय ज्ञानपीठ में कार्यरत हमारे दोनों सहयोगी बन्धु डॉ. गुलाबचन्द्र जैन एवं राकेश जैन शास्त्री को धन्यवाद कि उन्होंने इसके सम्पादन में अपना पूरा सहयोग दिया।
साहू अखिलेश जैन प्रबन्ध न्यासी, भारतीय ज्ञानपीठ
प्राक्कथन ::7
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