Book Title: Gyanarnava Author(s): Pannalal Baklival Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal View full book textPage 9
________________ करनेसे इस विषयमें सन्देह उत्पन्न होता है । क्योंकि श्रीचामुंडरायका समय इतिहास लेखकोंने प्रायः सातवीं शताब्दीमें माना है और श्रीनेमिचन्द्र सि० च० श्रीचामुंडरायके परमगुरु थे, यह सब जगतमें प्रसिद्ध है । यथा- भाखद्देशीगणाग्रेसरसुरुचिरसिद्धान्तविन्नेमिचन्द्र श्रीपादाने सदा षण्णवतिदशशतद्रव्यभूग्रामवर्यान् । दत्त्वा श्रीगोमटेशोत्सववरतरनित्यार्चनावैभवाय श्रीमच्चामुण्डराजो निजपुरमथुरां संजगाम क्षितीशः ॥ १॥ बाहुबलिचरित्र। इसके सिवाय बम्बईके दिगम्वरजैनमंदिरमें जो एक आष्टा (भोपाल)की लिखी हुई पुस्तक है, जिसमें कि अनेक पट्टावलियोंके तथा ग्रन्थोंके आधारसे आचार्योंकी नामावली तथा किसी किसी आचार्यका समय लिखा है। उसमें लिखा है कि, "श्रीनेमिचन्द्रसैद्धान्तिकचक्रवर्ती (श्रीअभयनन्दीके शिष्य ) विक्रमसंवत् ७९४ (ई० सन् ७३८) में हुए हैं।" और इससे श्रीचामुंडरायका समय प्रायः मिलता है । श्रवणवेलगुलके इतिहासमें लिखा है, "चामुंडरायने जिसे स्थापित किया था, वह राज्य शकसंवत् ७७७ (ईवी सन् ८५५) में हयसाल देशके राजाके अधीन हो गया। चामुंडरायके वंशधरोंमें वह १०९ वर्षतक रहा ।" और "कर्नाटकों जैनियोंका निवास" नामक • लेखमें एक साहब कहते हैं । "बल्लालवंशके स्थापक राजा चामुंडराय थे, जिनका राज्य सन् ७१४ में था। और भी गोमठेशकी प्रतिष्ठाका समय जो कि श्रीचामुंडरायने कराई थी। बाहुबलिचरिमें इस प्रकार लिखा है: कल्क्यव्दे षट्शताख्ये विनुतविभवसंवत्सरे मासि चैत्रे । पञ्चम्यां शुक्लपक्षे दिनमणिदिवसे कुम्भलग्ने सुयोगे ॥ सौभाग्ये मस्तिनाम्नि प्रकटितभगणे सुप्रशस्तां चकार । श्रीमच्चामुण्डराजो. वेल्गुलनगरे गोमठेशप्रतिष्ठाम् ॥ १ ॥ ' अर्थात् कल्की संवत् ६०० (ईखीसन् ६७८ )में श्रीचामुंडरायने श्रीबाहुबलिकी प्रतिष्ठा कराई। कल्की संवत्से यहांपर शक संवत् समझना चाहिये। क्योंकि शक राजाको जैन ग्रन्थोंमें कल्की माना है। इन प्रमाणोंसे श्रीचामुंडरायका समय ईसाकी ७ वी सदीके लगभग ही जान पड़ता है। अनेक लोगोंका कथन है कि भोजदेव नामके दो राजा हुए हैं और वे दोनों ही धारामें हुए हैं। यदि यह वात सत्य हो और यदि श्रीनेमिचन्द्रका समय ७ वीं शताब्दि निश्चित हो जावे, तो हो सकता है कि श्रीब्रह्मदेवलिखित धाराधीश प्रथम भोज हों, और प्रबंधचिंतामणिलिखित दूसरे भोज हों। कुछ भी हो, परन्तु यह निश्चय है कि श्रीशुभचन्द्राचार्य ग्यारहवीं सदीके भोजके समयमें हुए हैं। " भर्वहरि । भर्तृहरिका नाम सुनते ही शतकत्रयके कर्ता राजर्षि भर्तृहरिका मरण हो आता है। और अर्थात् ८५५-१०९-७४६ ईसवी सन तक चामुंडरायका शासनसमय था ।Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 471