Book Title: Dravyasangraha
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 15
________________ संकेत-सूची प्राकृत भाषा को अच्छी तरह समझने के लिए गाथा में निहित प्रत्येक पद जैसे-संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण, कृदन्त आदि का व्याकरणिक रूप से विश्लेषण करने का ज्ञान होना अति आवश्यक है। व्याकरणिक विश्लेषण को भलीभाँति समझने के लिए संकेत-सूची प्रस्तुत की जा रही है, जिसके माध्यम से आप गाथाओं में दिये गये संकेतों को भलीभाँति समझ सकेंगे। अ - अव्यय (इसका अर्थ = लगाकर लिखा गया है) अक - अकर्मक क्रिया अनि - अनियमित कर्म - कर्मवाच्य क्रिविअ - क्रिया विशेषण अव्यय (इसका अर्थ = लगाकर लिखा गया है) नपुं. - नपुंसकलिंग पु. - पुल्लिंग भूकृ - भूतकालिक कृदन्त व - वर्तमानकाल वकृ - वर्तमान कृदन्त वि - विशेषण विधि - विधि विधिकृ - विधि कृदन्त स - सर्वनाम संकृ - संबंधक कृदन्त (6) Jain Education International द्रव्यसंग्रह For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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