Book Title: Dravyasangraha
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 115
________________ का विधान महत्त्वपूर्ण है। प्रत्येक गण तीन मात्राओं का समूह होता है। गण आठ हैं जिन्हें नीचे मात्राओं सहित दर्शाया गया है ___- ।ऽऽ मगण यगण 555 तगण - ऽऽ। रगण जगण - - ___ - ऽ।ऽ । । ऽ।ऽ भगण नगण सगण - ।। मात्रिक छंद 1. गाहा छंद गाहा छंद के प्रथम और तृतीय पाद में 12 मात्राएँ, द्वितीय पाद में 18 तथा चतुर्थ पाद में 15 मात्राएँ होती हैं। उदाहरण ऽ।। ऽ ऽ ऽऽ जीवमजीवं दव्वं ऽ ऽ । ऽ । ऽऽ देविंदविंदवंदं ।।।।।ऽ । ऽ ऽ ऽ जिणवरवसहेण जेण णिद्दिटुं। ऽऽ ऽ ऽ ।ऽ ।। वंदे तं सव्वदा सिरसा।। (106) Jain Education International द्रव्यसंग्रह For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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