________________
3. तिक्काले चदुपाणा इंदियबलमाउआणपाणो य । ववहारा सो जीवो णिच्छयणयदो द चेदणा जस्स ।।
तिक्काले
चदुपाणा इंदियबलमाउ
आणपाणो
य
ववहारा
सो
जीवो
णिच्छयणयदो
दु
चेदणा
जस्स
( तिक्काल) 7/1
[(ag) fa-(4101) 1/2] [(इंदियबलं) + (आउ
द्रव्यसंग्रह
Jain Education International
आणपाणो ) ]
[ ( इंदिय) - (बल) 1 / 1 ]
[ ( आउ) - ( आणपाण) 1 / 1 ]
अव्यय
(ववहार ) 5 / 1
सवि
(त) 1 / 1
(जीव) 1 / 1
( णिच्छयणय) 5/1
पंचमी अर्थक 'दो' प्रत्यय
अव्यय
(चेदणा) 1/1
(ज) 6 / 1 सवि
तीन काल में
चार प्राण
For Personal & Private Use Only
इन्द्रिय, बल,
आयु, श्वास निकालना
और श्वास लेना
और
व्यवहार (नय) से
वह
जीव
निश्चयनय से
अन्वय- जस्स तिक्काले चदुपाणा इंदियबलमाउआणपाणो सो ववहारा जीवो य णिच्छयणयदो द चेदणा ।
अर्थ - जिसके तीन काल में चार प्राण- इन्द्रिय, बल, आयु, श्वास निकालना और श्वास लेना (होते हैं) - वह व्यवहार (नय) से जीव (होता है) और (शुद्ध) निश्चयनय से (जीव) निस्सन्देह चैतन्य (होता है ) ।
निस्सन्देह
चैतन्य
जिसके
(13)
www.jainelibrary.org