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15. अज्जीवो पुण णेओ पुग्गलधम्मो अधम्म आयासं।
कालो पुग्गल मुत्तो रूवादिगुणो अमुत्ति सेसा दु॥
पुण
अजीव (जीव के) विपरीत जाना जाना चाहिये पुद्गल, धर्म अधर्म
आकाश काल
अज्जीवो (अज्जीव) 1/1
अव्यय णेओ (णेअ) विधिकृ 1/1 अनि पुग्गलधम्मो
[(पुग्गल)-(धम्म) 1/1] *अधम्म (मूल शब्द) (अधम्म) 1/1 आयासं (आयास) 1/1 कालो
(काल) 1/1 *पुग्गल (मूल शब्द) (पुग्गल) 1/1
(मुत्त) 1/1 वि रूवादिगुणो [(रूव)+ (आदिगुणो)]
{[(रूव)-(आदि)
(गुण) 1/1] वि} *अमुत्ति (मूल शब्द)(अमुत्ति) 1/1 वि सेसा
(सेस) 1/2 वि अव्यय
पुद्गल मूर्तिक
मुत्तो
रूपादि गुणवाला
अमूर्तिक शेष
दु
किन्तु
अन्वय- पुण अज्जीवो पुग्गलधम्मो अधम्म आयासं कालो णेओ पुग्गल रूवादिगुणो मुत्तो दु सेसा अमुत्ति।
अर्थ- (जीव के) विपरीत अजीव (द्रव्य)-पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश (और), काल जाना जाना चाहिये। पुद्गल रूपादिगुणवाला (होता है)(अतः)मूर्तिक (होता है) किन्तु शेष (धर्म, अधर्म, आकाश और काल) अमूर्तिक (होते हैं)।
प्राकृत में किसी भी कारक के लिए मूल संज्ञा शब्द काम में लाया जा सकता है। (पिशलः प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 517)
द्रव्यसंग्रह
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