________________
वाचय विचित्त विविह वीरियमईअ स
संजुत्त
संसारत्थ संसारी
सदेह
बतलानेवाला अदभुत अनेक प्रकार के वीर्य से युक्त सहित संयुक्त संसार में स्थित संसारी अपनी देह युक्त मनवाले सम्यक सर्वज्ञ देव सहकारी सहित साधारण केवल होना रूप साकार
समग्ग
समण
सम्म
सव्वण्हु सहयारि सहिय
17, 18
सामण्ण
सिद्ध
2, 14, 51
सायार सिद्ध सिहरत्थ सुद्ध सुह
51
शिखर पर स्थित शुद्ध
6, 13, 50 38, 45
शुभ
कल्याणकारी
50
सुहम/सुहुम
सूक्ष्म
12, 16
सेस
शेष
15
Ja(98)ation International
For Personal & Private Use Only
द्रव्यसन www.jamelibrary.org