Book Title: Dravyasangraha
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 110
________________ अव्यय अस्थि अथ अध अवि इति इदि इव एव एवं कट्टु कमसो खु च अर्थ अस्ति क्रमसे किंचिवि थोड़ा भी किंवि खलु द्रव्यसंग्रह Jain Education International अब इसके बाद ही ही और अतः निश्चयपूर्वक समान / की तरह ही इस प्रकार करके कुछ भी अतः निश्चय ही ही निश्चय ही अव्यय - कोश भी और भी गा. सं. 24 30 + 4 5 24 2 2 2 2 2 2 5 1 8 a 19 36 43 22, 24 56 23 43 30 55 56 34 38 27 41 4, 5, 36, 38, 52 49 For Personal & Private Use Only (101) www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120