Book Title: Dravyasangraha
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 104
________________ विशेषण-कोश गा.सं. 31, 42 32 शब्द अजीव अणाण अणिट्ठ अणु अणेय अण्णोण्ण अब्भंतर अमण अमुत्ति अरिह अविभागी असंख असमुहद असुद्धणय असुह इक्किक्क 2, 7, 15 अर्थ अजीव (जीव रहित) अज्ञान अनिष्ट छोटा अनेक परस्पर/आपस में अंतरंग अमनवाले अमूर्तिक योग्य अविभाग असंख्यात समुदघात को अप्राप्त अशुद्धनय अशुभ एक-एक इष्ट विपरीत अन्य उपयोगमय कर्ता 10, 22, 25 10 38,45 इट्ट इदर उपयोगमय कत्तु द्रव्यसंग्रह (95) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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