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23. एवं छन्भेयमिदं जीवाजीवप्पभेददो दव्वं।
उत्तं कालविजुत्तं णादव्वा पंच अत्थिकाया दु।।
इस प्रकार
छह प्रकार
यह
जीव, अजीव के भेद
अव्यय छब्भेयमिदं [(छब्भेयं)+ (इद)]
छब्भेयं (छब्भेय) 1/1
इदं (इम) 1/1 सवि जीवाजीवप्पभेददो [(जीव)+ (अजीवप्पभेद)]
[(जीव)-(अजीव)(प्पभेद) 5/1] पंचमी अर्थक 'दो' प्रत्यय (दव्व) 1/1
(उत्त) भूकृ 1/1 अनि कालविजुत्तं [(काल)-(विजुत्त)
भूकृ 1/1 अनि] णादव्वा (णा) विधिकृ 1/2 पंच
(पंच) 1/2 वि अत्थिकाया (अत्थिकाय) 1/2
अव्यय
दव्वं उत्तं
द्रव्य कहा गया है काल (द्रव्य) से रहित समझे जाने चाहिये पाँच अस्तिकाय परन्तु
दु
अन्वय- एवं इदं दव्वं जीवाजीवप्पभेददो छब्भेयं उत्तं दु कालविजुत्तं पंच अत्थिकाया णादव्वा।
अर्थ- इस प्रकार यह द्रव्य- जीव, अजीव के भेद से छह प्रकार (का) कहा गया है। परन्तु काल (द्रव्य) से रहित पाँच अस्तिकाय समझे जाने चाहिये।
द्रव्यसंग्रह
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