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34. चेदणपरिणामो जो कम्मस्सासवणिरोहणे हेदू।
सो भावसंवरो खलु दव्वासवरोहणे अण्णो।।
चेदणपरिणामो
कम्मस्सासवणिरोहणे
हे
[(चेदण)-(परिणाम) 1/1] आत्मा का भाव (ज) 1/1 सवि [(कम्मस्स)+(आसवणिरोहणे)] कम्मस्स (कम्म) 6/1 कर्म के [(आसव)-(णिरोहण) 7/1] आस्रव को रोकने में (हेदु) 1/1
कारण (त) 1/1 सवि (भावसंवर) 1/1
भावसंवर अव्यय
अतः [(दव्व)+(आसवरोहणे)] [(दव्व)-(आसव) द्रव्यास्रव को -(रोहण) 7/1]
रोकने में (अण्ण) 1/1 सवि दूसरा
वह
भावसंवरो
खलु
दव्वासवरोहणे
अण्णो
अन्वय- चेदणपरिणामो जो कम्मस्सासवणिरोहणे हेदू सो खलु भावसंवरो दव्वासवरोहणे अण्णो।
अर्थ- आत्मा का भाव जो कर्म के आस्रव को रोकने में कारण (है) वह भावसंवर (है)। (वह) द्रव्यास्रव को रोकने में (भी) (कारण) (होता है)। अतः दूसरा (द्रव्यसंवर) (है)।
द्रव्यसंग्रह
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