Book Title: Dravyasangraha
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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39.
सम्मदंसणणाणं चरणं मोक्खस्स कारणं जाणे । ववहारा णिच्छयदो तत्तियमइओ णिओ अप्पा ।।
सम्मदंसणणाणं
चरणं
मोक्खस्स
कारणं
जाणे'
ववहारा
णिच्छयदो
तत्तियमइओ
णिओ
अप्पा
[ ( सम्मदंसण) - ( णाण)
2/1]
द्रव्यसंग्रह
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(चरण) 2 / 1
( मोक्ख ) 6 / 1
(कारण) 1 / 1
(जाण) विधि 2 / 1 सक
(ववहार) 5 / 1
( णिच्छय) 5/1
पंचमी अर्थक 'दो' प्रत्यय
[(त) सवि - (त्तियमइअ )
1/1 fa]
( णिअ) 1 / 1 वि
( अप्प ) 1 / 1
सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान
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सम्यक्चारित्र को
मोक्ष का
कारण
जानो
व्यवहार (नय) से निश्चय (नय) से
उन तीन के समूहयुक्त
अन्वय- ववहारा सम्मद्दंसणणाणं चरणं मोक्खस्स कारणं जाणे णिच्छयदो तत्तियमइओ णिओ अप्पा ।
अर्थ - व्यवहार (नय) से सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान (और) सम्यक्चारित्र को मोक्ष का कारण जानो । निश्चय (नय) से उन तीन (सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र) के समूहयुक्त अपनी आत्मा (मोक्ष का कारण ) ( है ) ।
1. पिशलः प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 679
अपनी
आत्मा
(51)
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