Book Title: Dravyasangraha
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 81
________________ ___8. पुग्गलकम्मादीणं कत्ता ववहारदो दु णिच्छयदो। चेदणकम्माणादा सुद्धणया सुद्धभावाणं।। 9. ववहारा सुहदुक्खं पुग्गलकम्मप्फलं पभुंजेदि। आदा णिच्छयणयदो चेदणभावं खु आदस्स।। 10. अणुगुरुदेहपमाणो उवसंहारप्पसप्पदो चेदा। असमुहदो ववहारा णिच्छयणयदो असंखदेसो वा।। 11. पुढविजलतेयवाऊ वणप्फदी विविहथावरेइंदी। विगतिगचदुपंचक्खा तसजीवा होंति संखादी।। 12. समणा अमणा णेया पंचिंदिय णिम्मणा परे सव्वे। बादरसुहमेइंदी सव्वे पज्जत्त इदरा य।। 13. मग्गणगुणठाणेहि य चउदसहि हवंति तह असुद्धणया। विण्णेया संसारी सव्वे सुद्धा ह सुद्धणया। 14. णिक्कम्मा अट्टगुणा किंचूणा चरमदेहदो सिद्धा। लोयग्गठिदा णिच्चा उप्पादवएहिं संजुत्ता।। ____15. अज्जीवो पुण णेओ पुग्गलधम्मो अधम्म आयासं। कालो पुग्गल मुत्तो रूवादिगुणो अमुत्ति सेसा दु।। (72) ucation International For Personal & Private Use Only wwद्रव्यसंग्रह

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