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38. सुहअसुहभावजुत्ता पुण्णं पावं हवंति खलु जीवा।
सादं सुहाउ णामं गोदं पुण्णं पराणि पावं च ।।
पुण्णं
जीवा
सादं
सुहअसुहभावजुत्ता [(सुह) वि-(असुह) वि- शुभ और अशुभ
(भाव)-(जुत्त) भूक 1/2 अनि भावों से युक्त (पुण्ण) 1/1 वि
पुण्यरूप पावं (पाव) 1/1 वि
पापरूप हवंति (हव) व 3/2 अक
होते हैं खलु अव्यय
निश्चय ही (जीव) 1/2
जीव (साद) 1/1
साता वेदनीय *सुहाउ (मूलशब्द) [(सुह) वि-(आउ) 1/1] शुभ आयु (णाम) 1/1
नाम (गोद) 1/1
गोत्र पुण्णं (पुण्ण) 1/1 वि
पुण्यरूप पराणि (पर) 1/2 वि
अन्य (कम्माणि) पावं (पाव) 1/1 वि
पापरूप अव्यय
और
णाम
गोदं
अन्वय- सुहअसुहभावजुत्ता जीवा खलु पुण्णं पावं हवंति सादं सुहाउ णामं गोदं पुण्णं च पराणि पावं।
अर्थ- शुभ और अशुभ भावों से युक्त जीव निश्चय ही पुण्यरूप (और) पापरूप होते हैं। सातावेदनीय (कर्म), शुभ आयु, शुभ नाम, शुभ गोत्र पुण्यरूप (कर्म हैं) और अन्य पापरूप (कर्म हैं)।
प्राकृत में किसी भी कारक के लिए मूल संज्ञा शब्द काम में लाया जा सकता है। (पिशलः प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 517)
द्रव्यसंग्रह
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