Book Title: Dravyasangraha
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 61
________________ 40. रयणत्तयं ण वट्टइ अप्पाणं मुइत्तु अण्णदवियम्हि। तम्हा तत्तियमइओ होदि हु मुक्खस्स कारणं आदा।। रयणत्तयं वट्टइ अप्पाणं मुइत्तु अण्णदवियम्हि तम्हा तत्तियमइओ (रयणत्तय) 1/1 रत्नत्रय अव्यय नहीं (वट्ट) व 3/1 अक विद्यमान होता है (अप्पाण) 2/1 आत्मा को (मुअ) संकृ छोड़कर [(अण्ण) सवि - (दविय) ___अन्य द्रव्य में 7/1] अव्यय इसलिए [(त) सवि-(त्तियमइअ) उन तीन के समूह1/1 वि] (हो) व 3/1 अक होता है अव्यय निश्चय ही (मुक्ख) 6/1 मोक्ष का (कारण) 1/1 (आद) 1/1 आत्मा युक्त होदि मुक्खस्स कारणं कारण आदा अन्वय- अप्पाणं मुइत्तु अण्णदवियम्हि रयणत्तयं ण वट्टइ तम्हा हु तत्तियमइओ आदा मुक्खस्स कारणं होदि। ___ अर्थ- आत्मा को छोड़कर अन्य द्रव्य में रत्नत्रय विद्यमान नहीं होता। इसलिए निश्चय ही उन तीन के समूहयुक्त (रत्नत्रययुक्त) आत्मा मोक्ष का कारण होता है। (52)cation International For Personal & Private Use Only www.द्रव्यसग्रह

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