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12. समणा अमणा णेया पंचिंदिय णिम्मणा परे सव्वे।
बादरसुहमेइंदी सव्वे पज्जत्त इदरा य।।
समणा (समण) 1/2 वि
मनवाले अमणा (अमण) 1/2 वि
अमनवाले णेया
(णेय) विधिकृ 1/2 अनि समझे जाने चाहिये *पंचिंदिय (मूलशब्द) [(पंच)+ (इंदिय)]
[(पंच) वि-(इंदिय) 1/2] पाँच इन्द्रिय णिम्मणा (णिम्मण) 1/2 वि मन से रहित (पर) 1/2 वि
अन्य सव्वे
(सव्व) 1/2 सवि सभी बादरसुहमेइंदी [(बादरसुहम)+(एअ)+ (इंदी)]
[(बादर) वि-(सुहम) वि बादर, सूक्ष्म
-(एअ) वि-(इंदि) 1/1] एक इन्द्रिय सव्वे
(सव्व) 1/2 सवि *पज्जत्त (मूलशब्द) (पज्जत्त) 1/2 वि पर्याप्ति से युक्त इदरा (इदर) 1/2 वि
विपरीत अव्यय
और
सभी
अन्वय- पंचिंदिय समणा अमणा णेया परे सव्वे णिम्मणा बादरसुहमेइंदी सव्वे पज्जत्त य इदरा।
___ अर्थ- पाँच इन्द्रिय (जीव) मनवाले, (और) अमनवाले समझे जाने चाहिये। अन्य सभी (चार इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय, दो इन्द्रिय) मन से रहित (होते हैं) (और) एक इन्द्रिय (जीव) बादर (और) सूक्ष्म (होते हैं)। सभी पर्याप्ति से युक्त और (इसके) विपरीत (अपर्याप्ति से युक्त होते हैं)।
प्राकृत में किसी भी कारक के लिए मूल संज्ञा शब्द काम में लाया जा सकता है। (पिशलः प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 517)
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द्रव्यसंग्रह
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