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2.
जीवो उवओगमओ अमुत्ति कत्ता सदेहपरिमाणो। भोत्ता संसारत्थो सिद्धो सो विस्स सोड्डगई।।
कर्ता
भोत्ता
सिद्ध
सो
वह
जीवो (जीव) 1/1 वि
जीवरूप उवओगमओ (उवओगमअ) 1/1 वि उपयोगमय *अमुत्ति (मूलशब्द) (अमुत्ति) 1/1 वि अमूर्तिक कत्ता
(कत्तु) 1/1 वि सदेहपरिमाणो {[(स-देह)-(परिमाण) . अपनी देह के 1/1] वि}
परिमाणवाला (भोत्तु) 1/1 वि
भोक्ता संसारत्थो (संसारत्थ) 1/1 वि संसार में स्थित सिद्धो
(सिद्ध) 1/1 वि
(त) 1/1 सवि *विस्स (मूलशब्द) (विस्स) 7/1
लोक में/तक सोडगई [(स) + (उड्डगई)]
[(स) वि -(उढगइ) उर्ध्वगति सहित
1/1] अन्वय- सो जीवो उवओगमओ अमुत्ति कत्ता सदेहपरिमाणो भोत्ता संसारत्थो सिद्धो विस्स सोडगई।
अर्थ- वह (जीव द्रव्य) जीवरूप, उपयोगमय, अमूर्तिक, कर्ता, अपनी देह के परिमाणवाला, भोक्ता, संसार में स्थित, सिद्ध, लोक में/तक उर्ध्वगति सहित (होता है)।
प्राकृत में किसी भी कारक के लिए मूल संज्ञा शब्द काम में लाया जा सकता है। (पिशलः प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 517)
(12)
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