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VI
पुस्तकमें वैसे अनेक उत्तम और प्रेरक जीवन-प्रसंगोको गूंथ कर कथाशैलीके रूपमें प्रस्तुत किया है।
वर्तमान युग, विज्ञानयुग है। जो बुद्धिगम्य, इतिहासप्रसिद्ध और वास्तविक है, वही जो समाजके सामने रखा जाय तो समाजकी ओरसे, विशेषकर युवावर्गकी ओरसे शीघ्र स्वीकार्य होता है। इस बातको लक्षमें रखकर पुस्तकमें नियोजित लगभग सभी कथाएँ इतिहासप्रसिद्ध न्यायसे लिखी गयी हैं और जहाँ अमुक स्थान, अमुक तिथि या अमुक व्यक्तिका नाम जानने में नहीं आया वहाँ भी पूर्वके किसी प्रमाणसिद्ध साहित्यका आधार लेकर प्रसंगका यथावत् प्ररूपण करनेका प्रयत्न किया गया है। संक्षेपमें, ये न तो कोई पौराणिक कथाएँ हैं और न कोई वार्तासंग्रह ही, परन्तु जीवनके विविध क्षेत्रोंमें विशिष्ट महत्ताको प्राप्त व्यक्तियोंकी जीती-जागती घटनाओंका आलेखन-मात्र
इसप्रकार एक ओर जहाँ सत्य, अहिंसा, विश्वप्रेम, सहनशीलता, क्षमा, संयम और ईश्वरभक्ति जैसे सात्त्विक गुणोंका प्रतिपादन हुआ है तो दूसरी ओर शौर्य, प्रामाणिकता, कलारसिकता, मातृप्रेम, युद्धकौशल्य, वाक्पटुता आदि सामान्य मानवीय गुणोंका वर्णन भी है। याचकसे लेकर महाराजातककी, व्यापारीसे लेकर दीवानतककी, बालकसे लेकर वृद्ध-जनतककी, चोरसे लेकर सन्ततककी और ईस्वीसन्-पूर्वसे लेकर अणुयुगतककी विविधताको इस पुस्तकमें समा लिया गया है, जिससे समाजके सभी वर्गवालोंको इसमेंसे रसप्रद पठन-सामग्री मिल जानेकी सम्भावना हैं।
इस भांति वस्तुविषयकी विविधता होनेपर भी इस कृतिका
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