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काम परिष्कार का दूसरा सूत्र : परिणाम दर्शन भगवान् बोले-'तुम्हारा पुत्र मरीचि कुमार तीर्थंकर होगा । मरीचि कुमार ने यह सुना, उसका गर्व उभर आया। भरत को भी हर्ष हुआ।
भरत ने दूसरा प्रश्न पूछा-'भन्ते ! क्या मैं मुक्त होऊंगा ?' भगवान् बोले---'तुम बंधे हुए कहां हो ? इसी जन्म में तुम मुक्त हो जाओगे।
सारी परिषद् ने यह सुना । कुछ लोग बोले-हमारे सम्राट मुक्त हो जायेंगे । बड़ी अच्छी खबर है। कुछ लोगों ने विपरीत रूप से सोचा । चिन्तन का प्रकार सब का एक नहीं हो सकता । एक व्यक्ति बोल पड़ा'महान आश्चर्य ! भगवान् केवलज्ञानी हैं, सर्वज्ञ हैं, वीतराग हैं फिर भी पक्षपात से मुक्त नहीं हैं। भरत चक्रवर्ती हैं। वे इतने बड़े साम्राज्य के उपभोक्ता हैं। उनका इतना बड़ा परिवार है ! उनके बड़े अधिकार हैं । कितनी हिंसा और परिग्रह का चक्र चल रहा है । फिर भी भगवान् कहते हैं-तुम इसी जन्म में मुक्त हो जाओगे । भगवान् को सोचना चाहिए था, पर भगवान भी तो भरत के ही पिता हैं।
लोगों ने उसकी हां में हां मिला दी। बात समाप्त हो गई।
भरत अपने साम्राज्य का संचालन पूर्ववत् करने लगे। एक दिन नगर कोटवाल ने एक चोर को पकड़, भरत के समक्ष उपस्थित किया । उसने कहा-राजन् ! इसने चोरी की है। इसे दंड दिया जाए।' चोर डर गया। उसने कहा---'महाराज ! इस बार मुझे छोड़ दिया जाये । आगे से मैं कभी चोरी नहीं करूंगा। भरत ने कहा-चोर तो अब मर गया । इस बेचारे को मारने से प्रयोजन ही क्या है ? छोड़ दो इसे ।
चोर थोड़े दिनों बाद फिर चोरी करते हुए पकड़ा गया। पुनः उसे सम्राट् भरत के समक्ष उपस्थित किया गया । भरत बोले-'अरे, तुम तो वही हो ! फिर चोरी की है तुमने !' चोर बोला---'आदत की लाचारी है।' भरत ने सोचा-चोर अभी तक मरा नहीं है। भीतर में वह जीवित है। जब भीतर का चोर नहीं मरता, तब बाहर के चोर को मारना ही श्रेयस्कर है। भरत ने आदेश दिया-'इसे मौत के घाट उतार दिया जाए।'
___ सारे नगर में इस मृत्यु-दण्ड की चर्चा प्रारम्भ हो गई। लोग कहने लगे-सम्राट भरत ने चोर को मृत्यु-दण्ड दिया है । उस व्यक्ति ने भी सुना, जिसने भगवान् पर पक्षपात का आरोप लगाया था। उसे अपनी बात की पुष्टि करने का अच्छा अवसर मिल गया। उसने कहना प्रारम्भ किया-देखो, जो व्यक्ति दूसरों को मृत्यु-दण्ड देता है , क्या वह मोक्ष पा सकता है ? भगवान् ने पक्षपात किया है ।
यह बात सम्राट भरत तक पहुंची । उन्होंने सोचा-घर-घर यह चर्चा रही है। सारा वातावरण विषाक्त हो रहा है । उन्होंने उस आदमी को बुला
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