Book Title: Avchetan Man Se Sampark
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 176
________________ अवचेतन मन से सम्पर्क को, बिना हिचक के कोर्टों में घसीट लेते हैं, एक-दूसरे पर मुकदमें कर देते हैं। अर्थ के अतिरिक्त अन्य कोई संबंध जैसा दृष्टिगोचर ही नहीं होता । पुत्र पिता को कारावास में भेजकर प्रसन्न होता है तो पत्नी पति को जेल की हवा खिलाने में आनन्द मानती है। कहां है संबंध ? कौन है किसका ? अर्थ ही सब कुछ है । अर्थ ही भगवान् है। अर्थ ही पिता है, पुत्र है, पत्नी है, पति है, मित्र है, भाई है। जब अर्थ की चेतना प्रबल हो जाती है, एकाधिकार स्थापित कर लेती है तब नैतिक चेतना धुंधली हो जाती है, नीचे दब जाती है । इस अर्थ चेतना ने कितने अनर्थ किए हैं, कितनी समस्याएं उत्पन्न की हैं, इस तथ्य को हम विस्मृत नहीं कर सकते। आज मनुष्य के दुःख और अशान्ति का कारण यही नजर आ रहा है। इसीलिए नैतिक चेतना की बात छोड़ी नहीं जा सकती। इसका जागरण बहुत अपेक्षित लगता है। नैतिक चेतना का चौथा सूत्र है--निष्पक्ष व्यवहार। जब पक्षपात होता है तब नैतिक चेतना जागृत नहीं रह पाती। आज पक्षपात बहुत चलता है। अपने दल का पक्षपात, अपने व्यक्ति का पक्षपात, अपने परिवार का पक्षपात, अपने समाज का पक्षपात । इतना पक्षपात कि तटस्थता कहीं दिखाई नहीं देती। पक्षपात की घटनाओं में हम नैतिक चेतना की कल्पना नहीं कर सकते । नैतिक चेतना का पांचवां सूत्र है। विनम्र व्यवहार । उद्दण्डतापूर्ण व्यवहार नैतिकता को टिकने नहीं देता। अहंकार आज की समस्या है। कोई व्यक्ति सत्ता पर चला जाता है तो उसे सत्ता का अहंकार हो जाता है । कोई व्यक्ति धनवान बन जाता है तो उसे धन का अहंकार हो जाता है। कोई व्यक्ति किसी विशेषता को पा लेता है तो उसे विशेषता का अहंकार हो जाता है। फिर विशेषता चाहे ज्ञान की हो, वक्तृत्व की हो अथवा लेखन की। आश्चर्य होता है कि जो ज्ञान अहंकार को मिटाने वाला है, उसका भी अहं होता है। कहा गया-'विद्या ददाति विनयं' । यह अनुभव की वाणी है कि ज्ञान का भी अहंकार है, कला और शिल्प का भी अहंकार है। विशेषता वह होती है, जो सबमें नहीं होती, एक में होती है। इसका यह तात्पर्य हो गया कि स्पेशेलाइजेशन भी एक खतरा हो गया। विशेषता को उपलब्ध करना भी खतरनाक हो गया। एक आदमी दूसरे आदमी के साथ व्यवहार करता है तब नैतिकता का प्रश्न आता है। उस व्यवहार को कसने के लिए ये पांच कसौटियां हैं । उसे तोलने के लिए ये पांच तुलाएं हैं । इन्हीं के आधार पर आदमी को परखा जा सकता है कि वह नैतिक है या नहीं। यदि कोई आदमी केवल प्रामाणिक व्यवहार करता है पर चार कसौटियों पर खरा नहीं उतरता तो मानना होगा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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