________________
अवचेतन मन से संपर्क
करते हैं तो ग्रन्थियां हमारे प्रति अच्छा व्यवहार करेंगी । यदि हम बुरे विचार या बुरी प्रवृत्तियां करते हैं, ग्रन्थियों के स्राव भी खराब होते हैं और व्यक्ति अपराधी मनोवृत्ति वाला हो जाता है । स्मगलिंग करनेवाला अपनी पिच्यूटरी ग्रन्थि पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है । शराबी व्यक्ति अपनी एड्रीनल ग्रंथि पर बुरा प्रभाव डालता है । अल्कोहल की मात्रा जितनी अधिक जाएगी, एड्रीनल उतनी ही अधिक सक्रिय होगी। शराब, तम्बाखू आदि का निषेध केवल उनसे होने वाली शारीरिक हानियों के कारण ही नहीं किया गया था । इनसे शरीर तो विकृत होता ही है, ये हमारी चेतना को भी विकृत करते हैं । इनसे हमारा सारा भावतंत्र गड़बड़ा जाता है । जब शराब और तम्बाखू का लंबे समय तक निरंतर सेवन किया जाता है तब उनकी मांग स्नायविक हो जाती है । उस स्थिति में मनुष्य परवश बन जाता है । ये सारे व्यसन चेतना को भ्रान्त और विकृत बनाते हैं । एक व्यसन अनेक बुराइयों को निमंत्रित करता है । मादक वस्तुओं के सेवन की बात आ जाती है तो समझ लेना चाहिए कि बिगड़ने का पहला द्वारा खुल गया । आज विद्या संस्थानों के परिसर में मादक वस्तुओं का प्रयोग धड़ल्ले के साथ चल रहा है । उसकी हानियों को जानतेसमझते हुए भी विद्यार्थी उसका आसेवन बढ़ाते जा रहे हैं । परिणाम सब जानते हैं । जानने की क्षमताएं और साधन बढ़े हैं। ज्यों-ज्यों विद्या बढ़ेगी, जानकारी बढ़ेगी ही । तर्क सूक्ष्मतर होता जाएगा और तब बुराई को प्रस्थापित करने में तर्क सहयोगी बन जाएगा । ऐसी स्थिति में बुराइयों के परिहार की बात दुरूह बन जाती है ।
४४
इन बुराइयों से बचने का एकमात्र उपाय हैं - बौद्धिक विकास के साथसाथ भावनात्मक विकास का उद्भावन, मूर्खता के उन्मूलन के साथ-साथ मूढ़ता का भी उन्मूलन । हम यह चाहें कि ज्ञान का विकास भी हो और चरित्र का विकास भी हो । इस स्थिति में ही हम शांति और सुख का अनुभव कर सकेंगे, समाज और राष्ट्र तभी सुखी हो सकेगा । इस स्थिति का निर्माण करने के लिए भावनात्मक विकास जरूरी है । यह घटित हो सकता है ध्यान के द्वारा | ध्यान के पुष्ट अभ्यास के द्वारा हम भावधारा को पवित्र बना सकते हैं और विद्युत् प्रवाह, प्राण- प्रवाह तथा रासायनिक स्रावों को प्रभावित कर सकते हैं । यदि ऐसा होता है तो सुखी परिवार और सुखी समाज का निर्माण सहज हो जाता है । यही हमारी समस्या के समाधान का एकमात्र उपाय है ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org