________________
मनोभाव को कैसे जानें ?
पति लाठी लेकर पत्नी को मारने लगा। और पत्नी जोर-जोर से चिल्लाने लगी। एक घंटा तक यह क्रम चलता रहा । वह चिल्ला रही थी, मैं रसोई नहीं करूंगी, मैं कपड़े नहीं धोऊंगी, मैं साफ-सफाई नहीं करूंगी। दोनों यह नाटक खेलते खेलते घर से बाहर आ गये।
आगन्तुक अतिथि भी नाटक खेलने में निपुण था। उसने सोचा, यह सब नाटक मेरे लिए ही खेला जा रहा है । उसने भी अपनी व्यवस्था कर ली।
__कुछ समय बीता। पति-पत्नी दोनों घर में आए । उन्होंने देखा कि मित्र अतिथि वहां नहीं है, चला गया है । वे राजी हुए । पति ने कहा-देखो, मेरा नाटक कैसा रहा ? इतनी जोर से लाठियां बजाई पर तुम्हारे एक भी चोट नहीं आने दी। पत्नी बोली-मैं भी घंटा भर जोर-जोर से चिल्लाती रही, पर आंखों में एक भी आंसू नहीं आया ।
इतने में खाट के नीचे से वह मित्र अतिथि निकल कर बोलादेखो, मेरा नाटक भी कितना सफल रहा। इतनी तेज लड़ाई होने पर भी मैं घर से नहीं निकला।
हर जगह नाटक खेला जा रहा है । अभिनय किया जा रहा है । हमारा मन भी अनोखा अभिनेता है। वह अनेक प्रकार का अभिनय करता है। आदमी उन अभिनयों को समझ नहीं पाता। मन का यह अभिनय तब तक नहीं रुक सकता जब तक हम एकाग्रता की शक्ति का विकास नहीं कर लें। एकाग्रता की शक्ति का विकास हो सकता है यदि आदमी सही प्रक्रिया को अपना कर चले सही मार्ग पर चलने से सफलता अवश्य मिलती है।
ध्यान उसकी सही दिशा और यथार्थ मार्ग है । जब चित्त की शक्ति केन्द्रित हो जाती है, प्रगाढ़ बन जाती है, तरलता मिट जाती है, तब बाहर के मिश्रण उसमें विकृति पैदा नहीं कर सकते । पानी तरल है। उसमें प्रत्येक चीज मिश्रित हो जाती है, घुल जाती है। पानी को प्रगाढ़ कर दिया, पानी को बर्फ बना दिया, उसमें अब कुछ भी घुलमिल नहीं सकता । बर्फ गंदी नहीं बनती। हमारे चित्त की भी यही स्थिति है । जब तक वह तरल होता है, तब तक वह बाहर के प्रभाव से प्रभावित होता है, चेतना गंदली बनती जाती है। जब चित्त प्रगाढ़ बन जाता है, बर्फ जैसा ठोस बन जाता है, तब वह बाहर के प्रभाव से अप्रभावित रहता है । ऐसी स्थिति में उस चित्त वाले व्यक्ति को गाली दो, पीटो, बुरा भला कहो, वह उनसे प्रभावित नहीं होगा । वे बातें आएंगी, स्पर्श कर नीचे लुढक जाएंगी। उनका कोई असर ही नही होगा। ये सारे प्रभाव हम अपनी चंचलता के कारण स्वीकार कर रहे हैं । बड़ी विचित्र स्थिति है। एक ओर हम अपने चित्त को चंचल या तरल रखना चाहते हैं, दूसरी ओर मानसिक समस्याओं और उलझनों से
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org