Book Title: Avchetan Man Se Sampark
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 122
________________ ११२ अवचेतन मन से सम्पर्क नहीं हुआ, विवाह नहीं हुआ। सम्पत्ति शाश्वत कुंआरी है। अनन्त काल बीत जाने पर भी वह वैसी ही है और वैसी रहेगी। - पदार्थ का भोग करना और पदार्थ के साथ ममत्व जोड़ना-ये दोनों भिन्न बातें हैं। ये दोनों एक नहीं है। भौतिक व्यक्तित्व में पदार्थ का उपभोग अवश्य होता है, पर ममत्व नहीं जुड़ता। उसमें 'पदार्थ' और 'मेरा' अलग रहते हैं, जुड़ते नहीं। .. - सब जानते हैं कि मेरा कुछ भी नहीं है, फिर भी काल्पनिक रेखाएं खींची जाती हैं और हर किसी को 'मेरा' मान लिया जाता है। मेरा कुछ होता ही नहीं। सारा धोखा होता है। जब आदमी ठगा जाता है तब भान होता है कि जो 'मेरा' नहीं था, उसे 'मेरा' मानकर बहुत बड़ी भूल की । सारा संसार इस धोखे की अनुभूति कर चुका है, कर रहा है और करता रहेगा। यह भौतिक व्यक्तित्व की प्रकृति है । इससे बचा नहीं जा सकता। आध्यात्मिक व्यक्तित्व केवल यथार्थवादी दृष्टिकोण के आधार पर निर्मित होता है और भौतिकवादी व्यक्तित्व काल्पनिक रेखाओ के आधार पर निर्मित होता हैं । यह भ्रान्ति न रहे कि आध्यामिक व्यक्ति पदार्थ का उपभोग नहीं करता। वह पदार्थ का उपयोग और उपभोग करता है और वास्तव में वही पदार्थ का सही उपभोग करता है। भौतिकवादी पदार्थ का उपभोग कम करता है, दुःख का उपभोग अधिक करता है। वह प्रत्येक चीज के साथ दुःख को जोड़ देता है । एक बहन ने कहा-ध्यान की साधना करने से पूर्व घर के प्रति अत्यन्त मोह था। अब वह क्षीण होता जा रहा है। उसकी सघनता मिट रही है। घर में रहती हूं, पर कोई मोह नहीं है। छोड़ आती हूं तो कोई कष्ट नहीं होता। एक भाई ने कहा--मेरी पत्नी अभी शिविर में है। उसके लिए घर छोड़कर बाहर जाना सबसे बड़ी समस्या हैं। मैंने उससे बात की। मुझे प्रतीत हुआ कि अब उसमें घर के प्रति वह मोह नहीं रहा, जो पहले था। उसका मोह शनैः शनैः क्षीण हो रहा है, यह उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। ___ जब आध्यात्मिक व्यक्तित्व बनता है तब सबसे पहले अहंकार और ममकार की बेड़ियां टूटती हैं। जब तक ये बेड़ियां नहीं टूटतीं तब तक कोई भी व्यक्ति आध्यात्मिक व्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर सकता । समस्याओं को पैदा कौन कर रहा है ? आदमी जो दुःख ढो रहा है, उस दुःख का कर्ता कौन है ? मनुष्य अपने आप समस्याओं को पैदा करता है। वही दुःख को उत्पन्न करता है। एक प्रिय व्यक्ति चला जाता है। जो चला गया, उसको कोई दु:ख नहीं है। जो मर गया, उसको क्या दुःख हो ? पीछे रहने वाले दुःख करते हैं, रोते हैं, बिलखते हैं ? क्या Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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